The Power of Habit (Hindi Edition)
Why We Do What We Do, and How to Change
No se ha podido añadir a la cesta
Error al eliminar la lista de deseos.
Se ha producido un error al añadirlo a la biblioteca
Se ha producido un error al seguir el podcast
Error al dejar de seguir el podcast
Escúchalo ahora gratis con tu suscripción a Audible
Compra ahora por 10,99 €
No se ha seleccionado ningún método de pago predeterminado.
We are sorry. We are not allowed to sell this product with the selected payment method
-
Narrado por:
-
Ravinder Singh
-
De:
-
Charles Duhigg
Acerca de este título
आदतों की शक्ति (The Power of Habit) के जरिए न्यूयॉर्क टाइम्स के पुरस्कार विजेता बिजनेस रिपोर्टर चार्ल्स डुहिग हमें आदतों के वैज्ञानिक अध्ययन की एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जो न सिर्फ रोमांचकारी है बल्कि बेहद आश्चर्यजनक भी है।
वे यह पता लगाते हैं कि कुछ लोगों और कंपनियों को सालों की कोशिशों के बाद भी बदलाव के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ता है, जबकि अन्य लोग बड़ी आसानी से रातोंरात बदलाव लाने में सफल हो जाते हैं। चार्ल्स उन प्रयोगशालाओं में भी जाते हैं, जहाँ न्यूरोसाइंटिस्ट इस बात का पता लगाते हैं कि आदतें कैसे काम करती हैं और उनका जन्म हमारे मस्तिष्क के किस हिस्से में होता है। चार्ल्स हमारे सामने यह राज़ भी उजागर करते हैं कि ओलंपिक तैराक माइकल फेल्प्स, स्टारबक्स के सीईओ हॉवर्ड शुल्ज और नागरिक अधिकारों के प्रणेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसी शख्सियतों की सफलता में उनकी आदतों की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही हइससे एक सम्मोहक, तार्किक परिणाम सामने आता है : नियमित व्यायाम करना, वजन घटाना, अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ परवरिश देना, अधिक उत्पादक बनना और यहाँ तक कि क्रांतिकारी सफलता हासिल करनेवाली कंपनियाँ खड़ी करना, हमारी इस समझ पर निर्भर करता है कि आदतें कैसे काम करती हैं। इस नए विज्ञान में निपुण बनकर हम अपने व्यापार, अपने समुदाय और अपने जीवन को रूपांतरित कर सकते हैं।
‘एक तीखी, उत्तेजक और बेहद उपयोगी पुस्तक... जिसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी सुरुचिपूर्ण सरलता।’-जिम कॉलिन्स
Please note: This audiobook is in Hindi.
©2012 Charles Duhigg (P)2019 WOW PublishingsReseñas de la crítica
"यह पुस्तक बुरी आदतों का फंदा तोड़ने के बारे में बौद्धिक गंभीरता के साथ व्यावहारिक सलाह देती है।." (द इकोनॉमिस्ट)